WRITINGS

Budha Dariya: From a river to a drain of toxic water

It is a tradition in the Punjabi language to call old courses or tributaries of rivers, Budha(Old) or Purana(Ancient). An old course of river Ravi was called Budha Dariya. A tributary that originated from the Satluj bay near Ropar town is also called Budha or Purana Dariya. This tributary fell into Ghaggar river near Moonak(Patiala district), but then it started flowing parallel to the Ghaghar.

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आंदोलन ने सिखाया पढ़ाई का सही इस्तेमाल

आज कल मेरी क्लास ऑनलाइन लगती है जो मैं यहाँ से ही लगाता हूँ और फिर मंच पर चला जाता हूँ। यहाँ पर अच्छे अच्छे बुलारे और खेती के साथ जुड़े वैज्ञानिक भी आते हैं, उन से भी बहुत कुछ सीखने मिलता है। लीडर भी अपने विचार रखते हैं।

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लम्बी है ग़म की रात मगर……..

नाइट शिफ्ट शुरू होने वाली थी। तंबूओं में रहने वाले, एक व्यस्त दिन के बाद आराम करने की तैयारी कर रहे थे। व्यस्त राजमार्ग पर पास के गैस फिलिंग स्टेशन की चमकदार रोशनी में सड़क के उस पार से तंबूओं में रहने वाले लोगों की दिनचर्या दिखाई दे रही थी। स्ट्रीट लाइट में धातु से बने रसोई के बर्तन चमक रहे थे। उन्हें धोया गया था

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किसान आंदोलन: लोगों की अंतर-आत्मा

वर्तमान किसान आंदोलन व्यापक है। यह राष्ट्रीय और अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित है। शायद ही इतिहास में कोई ऐसा आंदोलन हो जो इतना शांतमई, हर दिल अजीज़ और जन आंदोलन बना हो। अब सवाल यह उठता है कि सरकार इन कानूनों को लाने के लिए इतनी जिद क्यों कर रही है? दरअसल, यह साम्राज्यवाद का नया युग है

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यह आंदोलन छोटे किसानों को समर्पित है

सितंबर 2020 में पारित किए गए 3 कृषि बिलों के खिलाफ न्याय पाने के लिए पिछले एक साल से किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। इन विधेयकों का मुख्य उद्देश्य कृषि बाजार को कॉर्पोरेट के अधीन करना है| भारत की आधी से अधिक आबादी कृषि में शामिल है जिसमें से अधिकांश वर्ग सीमान्त किसानों का है।

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रात के तूफान से पहले की एक दोपहर

26 जनवरी 2020 को दिल्ली में निकला किसान ट्रैक्टर मार्च भारी विवाद में समाप्त हुआ, कुछ लोगों के द्वारा किसानों को देश विरोधी बताया जा रहा था। मुख्यधारा की मीडिया ने किसानों को पहले ही खालिस्तानी और देशद्रोही घोषित कर दिया था।

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हम पहाड़ के किसान भी किसान आंदोलन के साथ हैं

मेरा नाम विजय लक्ष्मी है और मैं हमेशा से किसान आंदोलन का हिस्सा रही हूँ। अब मुझे गाज़ीपुर बॉर्डर पर कई महीने हो गए हैं। जब गाज़ीपुर पर लोग बैठे, उसके तकरीबन एक महीने के बाद मैंने आना शुरू किया। वैसे मैं सन 1983 में माले पार्टी के साथ जुड़ गई थी।

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‘तोड़ के रख दो वो समाज, नारी जिसमे बंधी है आज’

कैंपस में एक मार्च के दौरान चल रहे किसान आंदोलन में महिलाओं के योगदान का विषय चर्चित रहा। मैं जानना चाहती थी कि क्या हम चल रहे किसान आंदोलन में महिलाओं में सामाजिक गतिविधियों को लेकर एक नई जागरूकता देखते हैं

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