ऐतिहासिक रहा किसान मोर्चे का “काला दिवस” कार्यक्रम

ऐतिहासिक रहा किसान मोर्चे का “काला दिवस” कार्यक्रम
PHOTO - JASKARAN SINGH

26 मई 2021 को दिल्ली बार्डर के मोर्चों पर किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने व मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर देश के किसानों के साथ ही अन्य तबकों ने भी देश भर में काला दिवस मनाया। इसके साथ ही सयुंक्त किसान मोर्चा की ओर से दिल्ली के बार्डरों पर बुद्ध पूर्णिमा भी मनाई गयी। पूर्व घोषित काला दिवस को देशभर से भारी समर्थन मिला। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस दिन पूरे देशवासियों को अपने घरों, दुकानों, वाहनों और सोशल मीडिया पर काले झंडे लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाने का आह्वान किया था। इस आह्वान को पूरे देश से भरपूर समर्थन मिला। एक तरफ जहां देश के नागरिकों ने केंद्र की जुल्मी सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया, वहीं दूसरी तरफ देश के संघर्षरत किसानों का भरपूर समर्थन किया। सयुंक्त किसान मोर्चा ने कार्यक्रम की सफलता के लिए देशवासियों को धन्यवाद करते हुए संकल्प दोहराया कि किसानों की मांगे पूरी होने पर ही आन्दोलन खत्म होगा।

दिल्ली बॉर्डर के मोर्चे

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने बड़ी संख्या में विरोध दिवस मनाया और मोदी सरकार को चेतावनी दी कि जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती तब तक किसान वापस नहीं जाएंगे। सरकार चाहे जितना बदनाम करे या पुलिस बल का प्रयोग करे, किसान डटे रहेंगे। सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने अपनी अपनी ट्रॉलियां में, कच्चे मकानों में और अन्य वाहनों पर काले झंडे लगाए। किसानों ने अलग-अलग कई जगह पर मोदी सरकार के पुतले जलाए और नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किये। टिकरी बॉर्डर पर पंजाब हरियाणा के हजारों किसानों ने पहुंचकर मोर्चे को मजबूत किया। यहाँ भी काले झंडे लहराए गए और कई जगह पर प्रधानमंत्री मोदी के पुतले फूंके गए। टिकरी बॉर्डर पर आसपास के नागरिकों ने भी पहुंचकर किसानों का समर्थन किया और हरसंभव मदद का भरोसा दिया। गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों ने काले झंडे लहराए और प्रधानमंत्री मोदी का पुतला फूंका। वही शाहजहांपुर बॉर्डर पर राजस्थान व हरियाणा के किसानों ने इकट्ठे होकर सरकार के पुतले फूंके और काले झंडे लहराए। 

पंजाब-हरियाणा के मोर्चे

पंजाब के हर जिले में काला दिवस कार्यक्रम को किसानों और जनता के अन्य तबकों का भरपूर समर्थन मिला। पहले की तरह पंजाब में संघर्षरत सभी किसान संगठनों ने घर-घर में काले झंडे, बाइक रैली, ट्रेक्टर रैली व छोटी बैठकें कर विरोध जताया। पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध किया गया। करनाल, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, झज्जर, सोनीपत, गुड़गांव, भिवानी, रेवाड़ी, बहादुरगढ़, रोहतक, हिसार, जींद, फतेहाबाद समेत पूरे हरियाणा के किसानों ने आंदोलन के 6 महीने पूरे होने पर मोदी सरकार के पुतले जलाए व घरों में काले झंडे लगाए। आन्दोलनकारियों ने प्रण लिया कि जब तक तीन कृषि कानूनों की वापसी नहीं होती, यह आंदोलन चलता रहेगा।

बिहार

बिहार के पटना समेत अन्य जिलों में विभिन्न जगहों पर किसानों के समर्थन में लोगों ने घरों में काले झंडे लगाए और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को संपूर्ण बिहार में एआइकेएससीसी व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने लागू कर काला दिवस मनाया। काला दिवस पर अखिल भारतीय किसान महासभा ने पूरे बिहार में कार्यक्रम आयोजित किये। 

बिहार के लोगों ने मांग की कि फासीवादी केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को बिना शर्त रद्द करे और C2 के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए। बिहार में 2006 से बंद APMC मंडियों को पुनः बहाल कर खरीद शुरू की जाए तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य में शामिल कुल 23 फसलों के साथ गन्ना, आलू, प्याज, दुग्ध, मछली को भी शामिल किया जाए और बटाईदार किसानों को पहचान पत्र देते हुए सरकारी सहायता दिया जाए

उत्तर प्रदेश

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान के समर्थन में 26 मई को उत्तर प्रदेश में कई जिलों में पीएम मोदी के पुतले फूंके गए। कार्यक्रम से घबरायी योगी सरकार की पुलिस ने जगह-जगह नेताओं को घर पर ही नजरबंद कर दिया, बावजूद इसके पूरे प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित किए गए। काला दिवस मनाते हुए कायकर्ताओं ने सूबे के खेत-खलिहानों, घरों, कार्यस्थलों व कार्यालयों पर काले झंडे लगाए और बाहों पर काली पट्टियां बांधी। 

झारखंड

किसान संघर्ष समन्वय समिति के अवहान पर, बगोदर बस पड़ाव में अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में काले झंडों के साथ काला दिवस मनाया गया। इस मौके पर अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता पुरन महतो ने कहा किसान छह माह से कानून वापसी को लेकर आंदोलन चला रहे हैं लेकिन सरकार अभी तक उनकी मांगों को सुनने के लिए तैयार नहीं है और समय-समय पर किसानों पर दमन उठा रही है। उन्होंने सरकार के सामने कोरोना ग्रस्त लोगों का मुफ्त इलाज करने, गांव-गांव में जांच केंदर खोलने, हॉस्पिटल की व्यवस्था दरुस्त करने, तमाम प्रवासी मजदूरों को 10,000 रुपए की आय और लोगों को 3 माह का राशन देने आदि की माँगें भी रखी।

राजस्थान

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी प्रधानमंत्री का पुतला दहन व काला दिवस पर झुंझुंनू जिले में संयुक्त किसान मोर्चा के घटक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने तथा मजदूर संगठनों ने सैंकङों ग्रामों में प्रधानमंत्री का पुतला दहन कर व अपने घरों एवं वाहनों पर काले झंडे लगाकर रोष व्यक्त किया। जिले के किसानों मजदूरों में देश के विभिन्न भागों के किसानों मजदूरों की तरह मोदी सरकार की किसान मजदूर विरोधी व कार्पोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा था। राजस्थान के झुंझुनू, भरतपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ समेत अन्य कई जगह पर भी विरोध प्रदर्शन हुए।

पश्चिम बंगाल

मोदी सरकार के कुशासन के खिलाफ 26 मई को पश्चिम बंगाल में किसानों और आम नागरिकों द्वारा यश चक्रवात और वर्षा के बावजूद विभिन्न जिलों में ब्लैक डे विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए। जहां भी मौसम किसी तरह अनुकूल था काला दिवस मनाया गया। मांगें थीं, तीन कृषि कानून की वापसी, एमएसपी गारंटी कानून बनाना, सरकार ग्राम क्षेत्र से धान की खरीद की गारंटी करे, महंगाई रोके, कोविड टीकाकरण – विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में परीक्षण कराए, मनरेगा नौकरियों, पीडीएस के माध्यम से 35 किलो खाद्यान्न और ग्रामीण गरीबों के लिए तालाबंदी भत्ता आदि की व्यवस्था करे। 

तमिलनाडु

SKM और AIKSCC कॉल के अनुसार अखिल भारतीय किसान महासभा ने 26 मई को तमिलनाडु के 14 जिलों में 60 से ज्यादा गांवों में काला दिवस मनाया। जिसमें लगभग 500 किसानों-ग्रामीण मजदूरों ने भाग लिया। जगह-जगह काला झंडा फहराया गया। काले बैज पहनकर कोविड प्रोटोकॉल को मानकर प्रदर्शन किया गया। मोदी कुशासन के खिलाफ और कृषि कानूनों को वापस लेने के नारे लगाए गए।

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र से दिन भर पूरे देश से किसान आंदोलन के समर्थन में और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की खबरें आती रही। महाराष्ट्र के मुम्बई, अहमदनगर, नंदुरबार, धुले, नांदेड़, अमरावती, मुंबई, नागपुर, सांगली, परभणी, थाने, बीड़, सोलापुर, बुलढाणा, कोल्हापुर, नासिक, औरंगाबाद, सतारा, पालघर, जलगांव में किसानों और आम नागरिकों ने घर पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। 

मध्य प्रदेश

बडवानी में किसान संयुक्त मोर्चा की नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में किसानों ने काला दिवस मनाया। नर्मदा बचाओ आन्दोलन और संयुक्त किसान मोर्चे के नेता डॉ. सुनीलम के नेतृत्व वाले किसान संघर्ष मोर्चे ने भी राज्य के कई हिस्सों में काला दिवस कार्यक्रम आयोजित किए। किसान महासभा, एक्टू सहित और कई जन संगठनों ने भी काला दिवस के मौके पर काले झंडे लहराए और काली पट्टियां बाँध कर अपना विरोध दर्ज कराया।

उड़ीसा

एआईकेएम, व्यापार संघ, एआईसीसीटीयू द्वारा रायगडा ओडिशा में श्रमिकों और किसानों की तबाही की नीति के खिलाफ काला दिवस मनाया गया। इस संबंध में गुनुपुर, गुडरी, पद्मपुर, कोलनारा, केसिंगपुर प्रखंड और विभिन्न गांवों में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए। काले झंडे फहराए गए, काली पट्टी बाँध कर और मोदी सरकार के पुतले जला कर जगह जगह किसानों मजदूरों ने इस काले दिवस को मनाया।

असम

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईसीएससी) ने असम के लोगों से काला दिवस का आह्वान किया। इस विरोध कार्यक्रम में असम के डिब्रूगढ़ के विभिन्न गांव और असम के विभिन्न जिलों में विरोध कार्यक्रम किए गए। असम के किसान नेता बलिंद्र सेकिया ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “हम लाखों किसानों के 6 महीने पुराने आंदोलन का समर्थन करते हैं और हम प्रधानमंत्री के रुख का कड़ा विरोध करते हैं।” 

उत्तराखंड/अन्य पर्वतीय राज्य

उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में संयुक्त किसान मोर्चे के नेता व तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तेजेंदर विर्क के नेतृत्व में किसानों ने बड़े पैमाने पर विरोध कार्यक्रमों के जरिये काला दिवस मनाया। बागेश्वर जिले में सवाल संगठन उत्तराखंड के संयोजक रमेश कृषक के नेतृत्व में काली पट्टी और प्ले कार्ड के साथ काला दिवस मनाया गया। अल्मोड़ा शहर में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी के नेतृत्व में काले झंडे लेकर विरोध किया गया। अखिल भारतीय किसान महासभा, एक्टू, भाकपा माले ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में काला दिवस मनाया। इसके इलावा हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और त्रिपुरा के कई हिस्सों में भी किसानों/नागरिकों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को सफल बनाया।

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम और तेलंगाना में हैदराबाद समेत कई जगह किसानों ने विरोध प्रकट किया। आन्ध्र प्रदेश में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड डी हरिनाथ सहित कई जगहों पर किसानों और नागरिकों ने काले झंडे फहराकर विरोध व्यक्त किया।

en_GBEnglish

Discover more from Trolley Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading