Author: Purushottam Sharma

हर रोज नई ऊर्जा कहाँ से पाता है यह ऐतिहासिक किसान आन्दोलन

19 नवम्बर 2021 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन कर भारी मन से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए आन्दोलन के मोर्चों पर डटे किसानों से घर वापस लौटने की अपील की।

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ऐतिहासिक रहा किसान मोर्चे का “काला दिवस” कार्यक्रम

26 मई 2021 को दिल्ली बार्डर के मोर्चों पर किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने व मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर देश के किसानों के साथ ही अन्य तबकों ने भी देश भर में काला दिवस मनाया। इसके साथ ही सयुंक्त किसान मोर्चा की ओर से दिल्ली के बार्डरों पर बुद्ध पूर्णिमा भी मनाई गयी।

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भूमि संकट से जूझता उत्तराखंड

राज्य में जनता की मांग के विपरीत हरिद्वार जनपद को जोड़ कर तत्कालीन भाजपा सरकार ने पर्वतीय राज्य की अवधारणा को ख़त्म कर दिया था। उसने इस नवोदित राज्य की संरचना को ही पूरी तरह बदल दिया। हरिद्वार का क्षेत्रफल उत्तराखंड में मात्र 5 प्रतिशत है।

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किसान आंदोलनों का प्रकाश पुंज है मुजारा आंदोलन

पंजाब के मुजारा आंदोलन के बारे में बाक़ी देश या तो जानता ही नहीं है या बहुत ही कम जानता है। मैं इस लोकसभा चुनाव में कामरेड रुल्दूसिंह के साथ किसानों के बीच चुनाव प्रचार के लिए मानसा जिले के किशनगढ़ गांव भी गया था।

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आखिर किसान इन नए कानूनों को स्वीकारने को तैयार क्यों नहीं? 

आखिर इन कानूनों में ऐसा क्या है कि किसान इन्हें स्वीकारने को तैयार नहीं? इनमें पहला है ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून, 2020’, जिसके तहत सरकार ने वर्तमान कृषि मंडियों के बाहर

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