Category: Edition 17

कुछ सवाल, कुछ जवाब, और कुछ विचार

पिछला एक हफ्ता काफी मुश्किल रहा, आप में से कईयों के लिए और साथ में हमारे लिए भी । फोन और इंटरनेट से बचने की कोशिश के दौरान बार-बार पिछले मैसेज खोल के पढ़े, फोन पर अलग-अलग लोगों से हुई बातचीत को याद किया और कई दफा रो भी दी।

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भारतीय किसान यूनियन (एकता) – डकौंदा

बलकार सिंह डकौंदा के नेतृत्व में कुछ किसानों ने भारतीय किसान यूनियन सिधुपुर छोड़कर 2007 में भारतीय किसान यूनियन एकता (पंजाब) का गठन किया। बलकार सिंह डकौंदा (पटियाला) इसके संस्थापक अध्यक्ष बने। उनकी मृत्यु के बाद, बूटा सिंह बुर्ज गिल (बठिंडा) को संगठन का अध्यक्ष चुना गया।

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क्या खेती क़ानून भारत के लिए अच्छे है?

भारत में जो खेती कानून लागू किए गए है, वो आस्ट्रेलिया में बहुत अरसे से लागू है। वे शायद अच्छे ही होंगे, नहीं? क्यूँकि हम आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश की बात कर रहे है। ना सिर्फ़ आस्ट्रेलिया, बल्कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लगभग सभी देशों में ये कानून लागू है जहां किसान अपने उत्पादों को सीधे कोर्पोरेट्स को बेचता है। 

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ये आंदोलन अन्न-खाता का भी है: दलजीत सिंह

दलजीत सिंह, 54, विर्क फ़ार्म किच्छा, उत्तराखंड के निवासी हैं। वे एक किसान परिवार से है व पेशे से डॉक्टर हैं । दलजीत सिंह का कहना है कि इन तीन काले कानूनो के बारे में उन्हें विभिन्न समाचार पत्रों ऐवं सोशल मीडिया से ज्ञात हुआ और तराई किसान संघठन में शामिल होकर उन्होंने इनका विरोध पहले तहसील स्तर, फिर ज़िला स्तर पर किया ।

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मिट्टी सत्याग्रह यात्रा पहुंची शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर

मिट्टी सत्याग्रह यात्रा जो 12 मार्च को भारत के विभिन्न राज्यों से शुरू हुई और किसानों के समर्थन में और तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की मांग के साथ 5 अप्रैल को एक टुकड़ी सुबह 4-5 बजे शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर पहुँची। यह यात्रा अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के संयोजक डॉ सुनीलम एवं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटेकर के नेतृत्व में शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पहुँची।

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पेरू में भूमि सुधारों का दौर और किसान आंदोलन

पेरू के किसानों के जीवन में 1969 के भूमि सुधार के  बाद आए परिवर्तनों को समझने के लिए पेरू के पारम्परिक ग्रामीण संरचना को समझना अनिवार्य है। ग्रामीण पेरू में खेती; तटीय और पहाड़ी भागों में विभाजित है। अगर हम उत्पादन संबंध की बात करें तो, 1969 के पूर्व इन इलाकों में भूस्वामियों का वर्चस्व था।

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गुजरात में किसान आंदोलन की गूंज

गुजरात में किसान नेता राकेश टिकैत जी की पहली बार धुआंधार एंट्री किसान संघर्ष मंच (KSM) के जरिए करवाई गई। 4 अप्रैल को राकेश टिकैत जी का भव्य स्वागत आबू रोड रेलवे स्टेशन पर किया गया और आबू रोड से गुजरात बॉर्डर तक ट्रैक्टर रैली में 100 से ज्यादा ट्रैक्टर और 100 से ज्यादा अन्य वाहनों के साथ गुजरात से आए लोगों ने भाग लिया।

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ਭਾਰਤੀ ਕਿਸਾਨ ਯੂਨੀਅਨ (ਰਾਜੇਵਾਲ)

ਸੂਬੇ ਦੇ ਲੋਕ ਅਨਪੜ੍ਹ ਜਾਂ ਅੱਧਪੜ੍ਹੇ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਚਾਲਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝ ਨਹੀਂ ਪਾਉਂਦੇ ਪਿਛਲੇ 10 ਸਾਲਾਂ ’ਚ ਧਨਾਢਾਂ ਦਾ 42 ਲੱਖ ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਕਰਜ਼ਾ ਮੁਆਫ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਪਰ ਸਰਕਾਰ ਕਿਸਾਨਾਂ ਵਾਰੀ ਹੱਥ ਘੁੱਟ ਲੈਂਦੀ ਹੈ। ਭਾਰਤੀ ਕਿਸਾਨ ਯੂਨੀਅਨ ਦੇ ਕੌਮੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਬਲਬੀਰ ਸਿੰਘ ਰਾਜੇਵਾਲ ਅਨੁਸਾਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਕਰਜ਼ਾ ਮੁਆਫ਼ੀ ਆਟੇ ’ਚ ਲੂਣ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਵੀ ਨਹੀਂ।

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ਮੇਰੀ ਧਰਤੀ – ਮੇਰੀ ਮਿੱਟੀ

ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਸਮੇਂ “ਨਮਕ ਸੱਤਿਆਗ੍ਰਹਿ” ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਬਣੇ ਪਿੰਡ ਦਾਂਡੀ ਤੋਂ 12 ਮਾਰਚ ਨੂੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈ “ਮਿੱਟੀ ਸੱਤਿਆਗ੍ਰਹਿ” ਯਾਤਰਾ ਥਾਂ-ਥਾਂ “ਮੇਰੀ ਧਰਤੀ – ਮੇਰੀ ਮਿੱਟੀ” ਦਾ ਹੋਕਾ ਦਿੰਦੇ ਹੋਏ 6 ਅਪ੍ਰੈਲ ਨੂੂੰ ਦਿੱਲੀ ਦੇ ਪੰਜੇ ਬਾਰਡਰਾਂ ‘ਤੇ ਕਿਸਾਨ ਮੋਰਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫੇਰੀ ਪਾ ਕੇ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਗਈ।

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ਖੇਤੀ ਦੀ ਲੁੱਟ ਦੀ ਕਹਾਣੀ

ਮੇਰਾ ਨਾਮ ਹਰਕੂਲ ਸਿੰਘ ਹੈ, ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ਦਾ ਨੌਂ ਅਕਾਲਗੜ੍ਹ ਸ੍ਰੀ ਮੁਕਤਸਰ ਸਾਹਿਬ ਹੈ। ਆਪਣੀ ਅੱਧੀ ਉਮਰ ਮੈਂ ਖੇਤੀ ਕੀਤੀ ਏ ਤੇ ਜਦੋਂ ਮੈਂ 35 ਕੁ ਵਰੇ ਦਾ ਸੀ ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ‘ਚ ਸਾਖਰਤਾ ਦੀ ਲਹਿਰ ਉੱਠੀ, ਉਦੋਂ ਫਰੀਦਕੋਟ ਜ਼ਿਲੇ ਚ ਆਈ. ਸੀ. ਐਸ. ਸੀ ਕਿਰਪਾ ਸ਼ੰਕਰ ਸਰੋਜ, ਉਸ ਵੇਲੇ ਮੈਂ ਕੋਈ ਪਾਰਟੀ ‘ਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਨਹੀਂ ਸੀਗਾ, ਪਰ ਤਾਹਵੀਂ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਮੀਟਿੰਗ ‘ਚ ਸੱਦਾ ਸੀ

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