13 अप्रैल को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर वैसाखी पर्व मनाया गया और जलियाँवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी ।
वैसाखी पर्व सिखों में बहुत महत्व रखता है क्योंकि इस दिन 1699 को सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ सजाया था। पाँच सिखों को अमृत छका कर खालसा फ़ौज में शामिल किया। यह पर्व पूरी दुनिया में खालसा साजना दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि किसान आंदोलन सभी धर्मों का आंदोलन है इसलिए 13 अप्रैल को किसान एकता मोर्चा ने वैसाखी का पर्व हर बॉर्डर पर मनाया। इसी दिन जलियाँवाला बाग़ में जनरल डायर ने अकारण लोगों पर गोलियां चलाई जिसमें 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। इस दिन को याद करते हुए ग़ाज़ीपुर मोर्चे में श्री राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता व श्री जगतार सिंह बाजवा, प्रवक्ता गाजीपुर मोर्चा (SKM) ने शहीदों को नमन किया।
इस दिन मंच वैसाखी और जलियाँवाला बाग को समर्पित किया गया। मंच का संचालन मलूक सिंह खिंडा और BKU के मालिक जी ने किया। मंच की शुरुआत पंजाब के मनजीत सिंह मानक के कविश्री जत्थे ने की। उन्होंने खालसा साजना दिवस एवं जलियाँवाला बाग का इतिहास बताया। वक्ताओं में धरम सिंह निहंग सिंह जी (सचखोज अकैडमी) ने इस दिन के बारे में सविस्तार बताया। अन्य वक्ताओं ने भी अपने शब्दों में इस दिन के महत्व पर रोशनी डाली। फिर साँय 4-5 बजे तक शहीदों की याद में कीर्तन दरबार हुआ। 5 बजे के बाद पंजाब से आए हुए बाबा दीप सिंह जत्थे ने गतका (सिख मार्शल आर्ट) का प्रदर्शन किया और मोर्चे में आए हुए किसानों को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया।
घर से दूर बैठे किसान भाइयों व बहनों ने 13 अप्रैल के दिन को मोर्चे में रहते हुए ही मनाया। वैसाखी के पर्व पर लंगर में विभिन्न प्रकार के पकवान भी बने। पूछने पर किसानों ने बताया कि अब ग़ाज़ीपुर घर ही लगता है और जब तक सरकार काले क़ानून वापिस नहीं लेगी तब तक हम लोग यही रहेंगे और अपने सारी ख़ुशियाँ और ग़म यही मनाएँगे। बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।
शाहजहाँपुर–खेड़ा बॉर्डर पर आज 124 वें दिन भी जारी रहा आंदोलन।
20 अप्रैल 2021 को धन्ना भगत की जयंती पर उनके गांव धोआ कलां से दिल्ली की सीमाओं पर मिट्टी लायी जाएगी व उनकी याद में टिकरी बॉर्डर मोर्चे पर कार्यक्रम होंगे।
आज शाहजहाँपुर–खेड़ा बॉर्डर पर फिर से मौसम की मार पड़ी। तेज आंधी–तूफान के साथ बारिश भी हुई और टैन्ट, तम्बू उखडने से भारी नुकसान हुआ।खराब मौसम की वजह से आज के सभी कार्यक्रम रद्द करने पड़े।
कल सिंघु बॉर्डर पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा किसानों के लिए बने टेंटो में आग लगा दी गई, अचानक लगी आग को देखकर किसानों में अफरा–तफरी मच गई और वहां मौजूद किसानों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई और 4 टेंट पूरी तरह जल कर राख हो गये। आज शाहजहाँपुर–खेड़ा बॉर्डर के किसान आंदोलन के नेताओ ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि ऐसे हमले की आशंका पहले से थी। हम केंद्र सरकार से मांग करते है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाये, साथ ही राज्य सरकारे व केंद्र सरकार किसानों की सुरक्षा हेतु सभी बॉर्डर्स पर अग्निशमन एवं अन्य आवश्यक इंतजाम करे।