हरिशंकर परसाई
अध्यक्ष ने कहा – “सदन ये जानना चाहता है कि इन बर्बाद किसानों की समस्या को शासन कैसे हल करेगा?”
मंत्री ने वक्तव्य दिया – “अध्यक्ष महोदय! ऐसी समस्याओं को हल करने का यही एकमात्र और अचूक तरीका हमारे पास है। जब भी कोई हमारे पास शिकायत लेकर आता है, हम कह देते हैं कि तुम्हें कम्युनिस्टों ने भड़काया है। इससे समस्या हल हो जाती है। अध्यक्ष महोदय, मैंने इस नुस्खे को अपने बच्चे पर आजमा के देख लिया है। कल उसकी माँ बाहर गई हुई थी। लड़के को भूख लगी और वो रोने लगा। मैंने उससे कहा – क्यूँ रोता है? मालूम होता है, तुझे कम्युनिस्टों ने बहकाया है! अध्यक्ष महोदय, इतना सुनते ही लड़का चुप हो गया और उसे दूध पिलाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। इसलिए जब मैं कहता हूँ कि तुम्हें कम्युनिस्टों ने बहकाया है तो ये समझ लेना चाहिए कि उनकी समस्या हल हो चुकी है।”
‘वाक आउट! स्लीप आउट! ईट आउट!’