आज़ाद किसान कमेटी, दोआबा

आज़ाद किसान कमेटी, दोआबा

संगीत तूर

नेता: हरपाल सिंह संघा, रणजीत सिंह

स्थापना: सितंबरअक्टूबर 2020

क्षेत्र: होशियारपुर, जलंधर एवं नवांशहर

फ़सल: गन्ना, सब्ज़ियाँ: आलू, मटर, गाजर

हरपाल जी बताते हैं कि कई किसानों ने 50 लाख तक के आलू बोए हैं, यानि की यह एक परिपूर्ण इलाक़ा है, आत्महत्या जैसी कोई समस्या इतनी नहीं है। छोटे से छोटे किसान भी सब्ज़ियाँ आदि लगाकर अच्छी आय अर्जित करते हैं। हम इस आंदोलन में तब शामिल हुए जब हमें एहसास हुआ की हमारी ज़मीनें चली जाएँगी। 

इस डर ने उन्हें अपना संघ बनाने और दिल्ली में इस संघर्ष का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया। इस समय उनकी 50-55 इकाइयाँ हैं लेकिन फ़िलहाल यह तीन ज़िलों की सामयिक समिति बना कर ही काम कर रहे हैं क्योंकि उनके पास अभी सामान्य बल नहीं है। यदि इनकी सामयिक समितियों को इकाई बना दिया जाए तो इनकी 150 इकाइयाँ बन सकती हैं। 

इनकी विशेषता यह है की इनके साथ युवा भी जुड़े हैं और इन युवाओं में अनुशासन भी है। उन्होंने बताया कि जो युवा नये जुड़े हैं उनका अध्ययन चल रहा है, इस समय वे ख़ाली स्लेट हैं और अब बे संघर्ष के चलते बहुत कुछ सीख जाएँगे। वे बताते हैं कि संघर्ष ख़त्म होने के बाद वे अपने संघ के लोकतांत्रिक ढाँचे का निर्माण कर उसे और मज़बूत करेंगे। इनका अधिक काम युवकों को अपने साथ शामिल करना होगा ताकि उन्हें संगठित करने के लिए तैयार किया जा सके।

यदि वे समृद्ध भी हैं, तब भी बहुत समस्यायें आती रहती हैं जिन पर काम किया जा सकता है, जैसे कि बीज के मुद्देआजकल सब्ज़ी के बीज या तो महंगे हैं या संकर हैं। उत्पाद और तेल की क़ीमत भी बहुत अधिक है। सत्तवाद संरचना में भी किसान बुरी तरह फ़सते हैं। वे इसके विरुद्ध लड़ना चाहते हैं इसलिए वे युवा को अपने साथ शामिल करना चाहते हैं। इस समय उनकी 70-80 ट्रैक्टरट्रॉलीयाँ दिल्ली में खड़ी हैं और वे 26 जनवरी तक 200-250 ट्रैक्टरट्रॉलीयाँ आने की अपेक्षा कर रहे हैं। वे  प्रगतिशील हैं और इनकी कोई राजनीतिक आकांक्षा नहीं है। वे किसी से भी राजनीतिक संबंध के बिना, स्वतंत्र रूप से ही काम करना पसंद करेंगे ताकि वे ज़मीन और आधार के साथ काम कर सकें और जब उनका संघआज़ाद किसान कमेटी, दोआबाबड़ा हो जाएगा, तब वे इससेदोआबाकाट करआज़ाद किसान कमिटी, पंजाबकर देंगे।

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