हरियाणा में किसान आंदोलन की अगुवाई यूनियन नहीं कर रही है। मेरे दो दोस्त आंदोलन में शामिल है। मैंने उनसे इस विषय पर बात की कि हमें यूनियन में शामिल होना चाहिए। मैं उनसे इस पर लगातार बातचीत करता रहा। पर अंततः उन्होंने मना कर दिया। पर मैंने तो ठान लिया था। सब की भलाई के लिए मुझे आंदोलन में रहना ज़रूरी है।अपने अधिकारों के लिए जीना और हर पल संघर्ष करना पड़ता है। संघर्ष में आपको रहना पड़ेगा। उसमे पसीना बहाना पड़ेगा और सेवा करनी पड़ेगी। संघर्ष में लोगो की तादाद बहुत ज्यादा है। तो हमे उसके लिए भाग–दौड़ भी ज्यादा करनी होगी। चाहे पाँव में छाले हो जाए, या चाहे आँसुओ की नदियाँ बह जाए। मैं टिकरी मोर्चा शुरू होने के दो दिन बाद आया था। उस समय किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। किसी को जानते भी नहीं थे। सारे अलग–अलग जगह से आये थे। फिर में सिंघू बॉर्डर चला गया जहां मुझ मेरे कुछ रिश्तेदार मिल गए। फिर में उनके साथ एक–दो दिन रहा। फिर में वापिस टिकरी आ गया। यहाँ कोई भी एक–दूसरे को नहीं जानता था। जो भी अपने पास राशन–पानी था उसके साथ ही काम चला रहे थे। हम आंदोलन में अपनी भूमिका ढूँढ रहे थे। लोगों में इतना जोश था कि हम सारे बेरिकेड़ भी तोड़ कर आ गए। सभी अलग–अलग विचारों के थे। मेरा पहला काम था आसपास के लोगों से जान पहचान बनाना। मैं सबसे पहले टिकरी बॉर्डर पर था। उस समय मैं सिर्फ़ अपने रिश्तेदारों से ही मिला था। उस समय मेरी बहन भी आई हुई थी। सभी को यहाँ मिलकर एक–दूसरे पर बहुत प्यार आया।
उस समय हमारी जिम्मेदारी थी कि इस आंदोलन को हम आगे कैसे ले जा सकते है? मेरा घर जाने का मन नहीं कर रहा था तो मेरे घर वाले मुझे लेने के लिए यहाँ पर आ गए। घर वालो ने कहा कि तुमे चलना पड़ेगा हमारे साथ! हमारी रिश्तेदारी में लड़की की शादी थी। हमारे तरफ शादी वाले दिन खाना देते है। तो उन्होंने कहा कि तुमे जाना होगा। मैं सिर्फ दो दिन के लिए गया और फिर मैं अपने कपड़े उठा कर वापिस यहाँ पर आ गया। हर रोज लोग बहुत ज्यादा गिनती में लोग जुड़ रहे है। सरकार लोगो को लाठियों से पीट रही है, रास्ते बंद कर रही है। लेकिन किसान आन्दोलन अनवरत चल रहा है। कहीं चुनाव हो रहे है, सभा हो रही है। जिस तरह से लोग चल रहे है तो लग रहा है कि सब सही हो रहा है। यहाँ पर मैं अपने लिए नहीं घूम रहा, मैं अपने लोगो के लिए घूम रहा हूँ कि मेरे लोग अच्छे रहे। जो हमारे तरफ लोग है उन में प्रेम–प्यार हो। मुझे लगता है कि मैं लोगो से अलग हूँ। हर एक को अपने दिल में रखा जाएगा। हर एक के दर्द को याद रखा जाएगा। में बहुत ही अलग हूँ। यह मेरे दिल के अंदर के ज़हन की बात है। मेरी उम्र 28 के आस पास है। मेरा नाम हिंदुस्तानी दीपक है। मैं जिला हिसार से हूँ। मै रात को दो बजे सोता हूँ। एक बात मन में चुभती रहती है। ऐसे ना हो जाए, कोई घटना न हो जाए। मुझे राज गुरु, आज़ाद, चंद्र शेखर उन वीरो की याद आती है और उन शहीदो की याद आती है। जो तिरंगे के साथ चले गए। यह सोचकर मैं उठ जाता हूँ कि चलो उठो चार घंटे की नींद हो गई। फिर सेवा में लगा जाए। नए विचार आते है ओर नई कविताएं मन में बन जाती है। फिर मैं उन कविताओं में समा जाता हूँ। उनकी दुनिया में चला जाता हूँ। जो मेरे मन में कोई चीज आती है वो चली जाती है। मैं लिखता भी हूँ ओर गा भी लेता हूँ। मै मोर्चे से पहले स्कूलों में स्पीच देता था। में लोगों की मदद करना चाहता हूँ। मुझे यह नहीं चाहिए कि लोग मेरे पास आए बल्कि मैं लोगों के पास जाऊँ। मुझे देश के लिए आगे बढ़ना है और घर के लिए आगे बढ़ना है। आज कल तो मैं इस आन्दोलन में हूँ। मैं क्रांतिकारी किताबे पढ रहा हूँ। मैं अपना नाम छिपाने के लिए काम नहीं कर रहा हूँ। मेरी सोच अलग है ओर मेरा काम अलग है। लोग मुझे चेहरे से पहचाने जब में अख़बार देता हूँ। तो लोग मेरा नाम नहीं जानते वो मुझे चेहरे से पहचानते है। ओर मुझे नमस्ते करते है। तो लगता है यह आदमी अपने लिए नहीं लगा हुआ, यह अपने लोगो के लिए लगा हुआ है। में लोगो को चेहरे से जानता हूँ। ओर किसी को खास जानता हूँ। हर बन्दे के साथ बैठ कर बाते करता हूँ।
में सवेरे चार बजे के आस–पास उठ जाता हूँ और आधा घंटा ऐसे ही बैठा रहता हूँ। पांच बजे के आस पास सभी लोग उठ जाते है। सुबह उठ कर वें मिट्टी को सलाम करते है। एक दूसरे को मिलते है। फिर में नहाने के लिए गर्म पानी लेकर आता हूँ। फिर हम लंगरों में जाते है, और तीन–चार किलोमीटर दूर तक जाते है। वहाँ पर एक स्कूल है जहाँ मैं स्वयंसेवक के रूप में काम करता हूँ। बच्चे आए उनको कोई भी तकलीफ न आए। जो हमारे वाहन या ट्रैक्टर है उनसे बच्चे को चोट न लग जाए। वो आराम से घर पर पहले पहुंचे। किसी को भी गलत आदमी दिखाई देता है उनको निकाल देते है। इसके बाद मेरा ब्रेक होता है।