होली के रंग, किसानों के संग

होली के रंग, किसानों के संग

हरशरणजीत कौर, गाजीपुर मोर्चा 

हजारों किसानों के लिए, गाजीपुर मोर्चा अब घर से दूर एक घर है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के किसान यहां एक बड़े परिवार की तरह रह रहे हैं। उन्होंने दिल्ली की सीमा पर एक साथ संघर्ष किया है और त्योहारों को भी एक परिवार के रूप में मना रहे हैं। उत्तर भारत में होली एक  बहुप्रतीक्षित त्योहार है। गाजीपुर मोर्चा के किसान कुछ समय से इसकी तैयारी कर रहे थे। रंगों का त्योहार इस बार एक अलग शैली में मनाया गया। खेतों से लाई गई मिट्टी इस साल किसानों के लिए होली का मुख्य रंग थी। 

उत्सव की शुरुआत 300 से अधिक शहीद किसानों को होली या छोटी होली की पूर्व संध्या पर श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और गाजीपुर मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने किसानों के साथ मिल कर तीनों काले कानूनों की 5000 प्रतियां जलाई। जिसके बाद लोक संगीत और नृत्य हुआ। राकेश टिकैत अपनी पत्नी और परिवार के साथ बिल जलाने में शामिल थे। पूरे भारत में हज़ारों लोगों ने किसानों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए बिल जलाने में सक्रियता से भाग लिया। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर लाखों किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

होली का अगला दिन रंगों के साथ मनाया गया और दिन की शुरुआत फूलों से मिश्रित मिट्टी से बने तिलक लगाने से हुई। किसान नेताओं ने किसानों से मिलने और उनका अभिवादन करने के लिए हर पंडाल का दौरा किया।इस उत्सव के अवसर पर लंगरों में भोजन का प्रबंध किया गया । भोजन की तैयारी एक दिन पहले ही शुरू हो गई थी और सभी ने अपनी क्षमता के अनुसार खुशी से इसमें अपना योगदान दिया। दिल्ली के कई नागरिक रंग और मिठाई के साथ प्रदर्शनकारी किसानों से मिले और  गाजीपुर का दौरा किया। पंजाब से एक समूह के लोग भी इस मोर्चे में आए और होली की तैयारियों और समारोह में योगदान दिया।

 

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