संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में दिल्ली की बॉर्डरों पर 170 दिन से धरना चल रहा है और शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर भी 154 दिन से धरना चल रहा है। उसी तरह गाँव गाँव में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले धरने आयोजित किए जा रहे हैं। शाहजहाँपुर-खेडा बॉर्डर पर किसानों के मोर्चे को 5 महीने पूरे होने पर यादगार के तौर पर किसानों द्वारा पीपल के पेड़ों का वृक्षारोपण किया गया क्योंकि पीपल एक ऐसा वृक्ष है जो सबसे ज्यादा ऑक्सीजन और हवादार छाया देता है।
मोर्चे पर अभी भी समूह चर्चाओं का दौर जारी है। चर्चा के दौरान किसानों ने कहा कि न्याय व्यवस्था को किसान आंदोलन के प्रति जो संवेदना दिखाना चाहिए वह नहीं दिखा रही है। सरकार ने जो एमएसपी तय की है वह भी सही नही है। किसानों ने मांग की कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश के अनुसार सरकार किसानों की उपज लागत से डेढ़ गुना दाम तय करें और उससे कम पर उपज नहीं बिके इसके लिये एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाये। स्वामीनाथन की रिपोर्ट के अनुसार यदि गेहूं के दाम का आंकलन किया जाए तो गेहूं का तीन हजार से भी अधिक दाम मिलेगा। किसानों का मानना है कि एमएसपी बढ़ेगी तो मजदूरों की मजदूरी भी बढ़ेगी। किसानों ने कहा कि आज गैर बराबरी मिटाने का भी वक्त है, इस लिए किसानों को मजदूरों को साथ ले कर कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि कोरोना काल में लॉकडाउन से किसानों की सब्जी, दूध, फल नष्ट हो रहे हैं, उनका मुआवजा दिया जाना चाहिए तथा दैनिक मजदूरी करने वाले श्रमिकों को दस हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाना चाहिए। इसी के साथ सभी का निशुल्क वैक्सीनेशन करने तथा सभी कोरोना मरीजों का निशुल्क उपचार करने की मांग भी की।
इसी बीच शाहजहाँपुर-खेडा बॉर्डर पर मूसलाधार बारिश हुई और ओले भी पड़े, जिससे मोर्चे पर काफी माली नुकसान हुआ। मगर किसान इस सब के बावजूद डटे रहे और जब तक सरकार तीनों खेती कानून वापिस नहीं लेती, वो आगे भी डटे रहेंगे।