
अन्तिम फैसला
हमारी मेहनत
हमारे गहने हैं,
हम अपना श्रम बेचते हैं,
अपनी आत्मा नहीं,
और तुम क्या लगा पाओगे हमारी क़ीमत?
हमारी मेहनत
हमारे गहने हैं,
हम अपना श्रम बेचते हैं,
अपनी आत्मा नहीं,
और तुम क्या लगा पाओगे हमारी क़ीमत?
गैर की जमीन पीछे छोड़
गालियों और झिड़कियों की बेइज्जती से लदाफदा
लंबा कारवां चल पड़ा है
शाम की लंबी होती परछाईयों की तरह
बच्चे गधों की पीठ पर सवार हैं
2 अक्टूबर, 2018 को दिल्ली में प्रवेश करते किसानों के साथ पुलिस का टकराव
यह तस्वीर हाल के दशकों में किसानों की सबसे सशक्त आवाज चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की विरासत मानी जा सकती है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में दिल्ली की बॉर्डरों पर 170 दिन से धरना चल रहा है और शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर भी 154 दिन से धरना चल रहा है। उसी तरह गाँव गाँव में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले धरने आयोजित किए जा रहे हैं।
गाजीपुर में अगर किसी ने भी गुड़ वाली चाय पीनी हो तो तरनतारन वालों के पंडाल का ही ध्यान आता है। बाबा सतनाम सिंह जी गुरुद्वारा खड़े दा खालसा (गाँव – नुशैरा पन्नु, ज़िला तरनतारन साहिब, पंजाब) के जत्थेदार हैं। बाबा जी हर साल गुरुद्वारे की गोलक ग़रीबों में उनकी सहायता करने हेतु बाँटते हैं
“कौन सा नंबर है तुम्हारा?” एक मुर्दे ने पास पड़े मुर्दे से पूछा।
“मालूम नहीं”, दूसरे ने बेतकल्लुफ जवाब दिया।
“कौन से नम्बर का दाह हो रहा है?”
“अरे मालूम नहीं, बोला न! तुम्हें क्या जल्दी पड़ी है दाह संस्कार की? ज़िंदा था तब राशन, टिकट, बैंक की लाइन में घँटों खड़ा रह लेता था।
धरती के पश्चिमी गोलार्ध में स्थित, एक छोटा-सा देश चीली, आज उन देशों की गिनती में आता है, जो सूखे की समस्या से बुरी तरह से ग्रसित है। 2010 से चीली में बारिश की कमी से उत्पन्न सूखे ने, वहाँ के किसानों की मुश्किलें बहुत बढ़ा दी हैं।
भारतीय राजनीति के अध्याय में 1985 से बाद का समय किसान राजनीति के ध्रुव तारे चौधरी अजीत सिंह की सिद्धांतवादी व गरिमापूर्ण सम्मानजनक मूल्यों पर आधारित राजनीतिक शैली के लिए जाना जाता है।
पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम ऐतिहासिक हैं। बिहार चुनावों के बाद, जिनमें भाजपा हार से किसी तरह बच गई थी, आया पश्चिम बंगाल का स्पष्ट भाजपा विरोधी जनादेश भारत के संविधान, लोकतंत्र और संघीय ढांचे, और विविधताओं से भरी भारतीय पहचान को बचाने की लड़ाई को मजबूत करेगा।
हम सभी संगठन पश्चिम बंगाल में एपीडीआर (श्रीरामपुर) के एक 26 वर्षीय कार्यकर्ता की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त करते हैं, जिनका 30 अप्रैल, 2021 को हरियाणा के बहादुरगढ़ में निधन हो गया। वह किसान आंदोलन से गहराई से प्रेरित थी
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