गैर की जमीन पीछे छोड़
गालियों और झिड़कियों की बेइज्जती से लदाफदा
लंबा कारवां चल पड़ा है
शाम की लंबी होती परछाईयों की तरह
बच्चे गधों की पीठ पर सवार हैं
पिता अपनी गोद में उठाए हुए हैं कुत्ते
माएं ढो रही हैं देगचियां
अपनी पीठ पर
जिनमें सो रहे हैं उनके बच्चे
लंबा कारवां चल पड़ा है
अपने कांधों पर अपनी झोपड़ियों के बांस लादे
कौन हैं ये
भुखियाए आर्य
हिन्दुस्तान की कौनसी जमीन पर
रहने जा रहे हैं ये
नए लड़कों को कुत्ते प्यारे हैं
महलों के चेहरों का प्यार
वो कैसे पालें
इन भूखों ने पीछे छोड़ दी है
किसी गैर की ज़मीन
लम्बा कारवां चल पड़ा है।