देव देसाई, गुजरात
किसान आंदोलन के दौरान देश की मिट्टी को बचाने के लिए अभी तक 320 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। उनकी शहादत की याद में शहीद स्मारक बनाने हेतु और महात्मा गांधी जी से प्रेरणा लेते हुए देश के अलग अलग हिस्सों के किसानों द्वारा मिट्टी सत्याग्रह यात्रा की शुरुआत की गई है। मिट्टी सत्याग्रह यात्रा के तहत दांडी से दिल्ली तक मिट्टी लाने वाले यात्रियों को दांडी में किसानों द्वारा 100 गाँवों की मिट्टी तथा बारदोली में 50 गांवों से लाई गई मिट्टी सौंपी गई। यात्रियों ने बताया कि मोदी सरकार किसानों की मिट्टी (जमीन) छीनकर पूंजीवादियों को सौंपना चाहती है और उसी के खिलाफ यह यात्रा निकाली जा रही है।
यात्रा की 2 टुकडियां; पहली, गुजरात के दांडी से निकल कर गुजरात के अन्य गांव व शहर से होते हुए 1 अप्रैल को राजस्थान के डूंगरपुर के बिछीवाड़ा पहुंची और दूसरी मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में शुरू की गई, जो रतलाम, नीमच होकर 1 अप्रैल को बिछीवाड़ा पहुंची, जहां आदिवासी किसानों के बीच एक सभा का भी आयोजन किया गया। आगे यात्रा राजस्थान के सीकर होते हुए पंजाब के मानसा व सुनाम की ऐतिहासिक भूमि से मिट्टी इकट्ठा करेगी और इसके बाद जींद होते हुए हरियाणा के अन्य गांवों शहरों से होते हुए दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरनास्थलों पर पहुँचेगी। यहां सभी बॉर्डर पर शहीद स्मारक बनाए जाएंगे।
मिट्टी सत्याग्रह की दूसरी यात्रा नर्मदा बचाओ आंदोलन और जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में राजघाट से शुरू की गई। मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में शामिल नर्मदा घाटी के किसान, मजदूर, मछुआरों के प्रतिनिधि गांधी समाधि, राजघाट (कुकरा) बड़वानी से रतलाम, मंदसौर होकर राजस्थान के डूंगरपुर जाएंगे, जहां पर दोनों यात्राएं मिलेगी तथा दिल्ली बॉर्डर (शाहजहांपुर, टिकरी, गाजीपुर, सिंघु) की ओर बढ़ेंगी।