कुलदीप कौर
जब गलियों से गुज़रते हैं सैनिक,
उसी क्रम और लय में बच्चे खेलते हैं फ़ुटबॉल।
जिस दिन शहर के चौक लाल हुये हों कहीं भी,
ठीक उसी वक़्त डॉक्टरों के हाथों में होते हैं नौजन्मे।
किसी पर फेंका जाता होगा कोई अश्लील फ़िकरा,
तो हज़ारों हाथ उसी वक़्त होते हैं दुआ में।
किसी एक चोरी की प्रक्रिया की कार्यवाही के वक़्त,
बहुत लोग लड़ रहे होते हैं ईमानदारी के लियें।
सबसे ग़लत क़ानूनों के दौर में
ग़ैर क़ानूनी ही सही,
लिखी जाती रही हैं प्यार और ग़ैरत की कितनी किताबें।
बदरंग और बेकसी के बदतरीन लम्हों में भी,
बारिश बनाना नहीं भूलती सुन्दर इंद्रधनुष।
दुश्वारियों, ज़िल्लतों और भुरभुरेपन से लदी ज़िन्दगी ,
सारी कशमकशों के बीच लेती है ख़ूबसूरत
और मज़बूत फ़ैसले।
महरूमी में घिरा मानव मन भरता जाता है करुणा से।
ख़ालीपन का हर दौर आता है भरने की हज़ारों सम्भावनाओं
के साथ।