रामचंद्र शर्मा
दमनकारी और संवेदनहीन केन्द्र सरकार की तमाम साजिशों को अपने हौसले से नाकाम करते हुए और आम लोगों को अपने मुद्दों को अच्छे से समझाकर व्यापक जनसमर्थन हासिल करते हुए किसान आंदोलन 6 मार्च को अपने सौ दिन पूरे करने जा रहा है। दिल्ली बार्डर पर डेरा डाले किसानों के आह्वान पूरे देश के हिस्सों में लागू हो रहे हैं। चाहे रास्ता रोको के कार्यक्रम हों या टोल फ्री करने या रेल रोकने के। पूरे देश के साथ ये कार्यक्रम राजस्थान में भी पूरी तरह सफल रहे हैं। चक्का जाम और रेल रोको के शानदार आंदोलन सफल रहे। देश के सभी हिस्सों में राजमार्ग जाम हुए। मुख्य रास्तों के साथ गांवों की सड़कों पर भी आम लोग किसानों के समर्थन में आये। अकेले पंजाब में 350 से ज्यादा जगहों पर चक्काजाम किया गया तो हरियाणा में 250 से ज्यादा जगह चक्काजाम हुए। यहां ऐसा कोई राजमार्ग और सड़क नहीं बची जिस पर जाम न लगा हो। हालांकि उप्र, उत्तराखंड, दिल्ली को इससे बाहर रखा गया था। दिल्ली तो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उप्र, मप्र से आने वाले रास्ते से पहले ही ब्लॉक है। देश के सभी हिस्सों में राजमार्ग शांतिपूर्ण तरीके से जाम किये गये। राजस्थान में विशेष तौर पर हर टोल नाके पर चक्काजाम किये गये। 25 मार्च को जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में होने वाली महापंचायत सारे रिकार्ड तोड़ने जा रही है। किसान आंदोलन की कड़ी में जयपुर–बीकानेर हाईवे सहित पूरे देश में हुआ चक्का जाम इसका सबूत है। सरकार को चाहिए वह सफेद झूठ बोलने की बजाय किसान–मजदूरों के खिलाफ पारित काले कानून तत्काल वापस ले।
8 फरवरी को राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलनरत किसानों के मुद्दे पर समाधान करने के बदले उनका मजाक उड़ाते हुए जले पर नमक छिड़का। उन्होंने किसानों को ‘आंदोलनजीवियों की नयी जमात’ और उनका समर्थन करने वालों को “परजीवी” कहा। प्रधानमंत्री के भाषण पर किसान सभा ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी आंदोलन के बारे में ऐसी असभ्य भाषा कोई तानाशाह ही बोल सकता है, जो सपने में भी जन आंदोलन से डरता है। 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा शुरू किया गया आंदोलन कई मुश्किल हालात से गुजरता हुआ पूरे देश में फैल चुका है। सरकार और किसान संगठनों के नेताओं के बीच कृषि कानूनों को लेकर कई बैठकें भी हो चुकी है।
लेकिन सरकार किसानों की मांग को मानने से साफ इंकार कर रही है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में आंदोलन कर रहे किसानों से पाखंडपूर्ण अपील करते हुए कहा कि जल्द से जल्द इस आंदोलन को खत्म कर सरकार से बात करें। इससे पहले अनेक भाजपा नेताओं द्वारा बार–बार किसानों को कभी आतंकी तो कभी खालिस्तानी कहा गया है। जबकि अब तक 215 किसान आंदोलन में शहीद हो गए वो कड़कती ठंड में पानी की बौछारें और आँसू गैस के गोले झेल रहे हैं। परंतु जीवन गंवा चुके आंदोलनकारियों के प्रति संवेदना का एक शब्द भी किसी के मुंह से नहीं निकला है।
किसान आंदोलन की उपलब्धियां:
देश के किसानों को जगाकर एकजुट कर दिया।
हिन्दू–मुस्लिम की राजनीति पर रोक लगा दी।
देश को एक नयी गुलामी की तरफ ले जा रही सरकार का रास्ता रोक दिया।
देश की कथित लोकतान्त्रिक संस्थाओं का पर्दाफाश कर दिखा दिया कि यहाँ मुट्ठी भर लोगों की सिर्फ तानाशाही चलती है।
मोदी सरकार की मनमानी पर अंकुश लगा कर उसका घमंड तोड़ दिया।
सरकार और देश को किसानों की असीम ताकत और उनकी बौद्धिक क्षमता का अहसास करा दिया और साबित कर दिया कि वे कुछ भी कर सकते हैं।
देश की हर जाति, धर्म, संप्रदाय और क्षेत्र को जोड़ दिया।
देश के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उ.प्र.,उत्तराखंड के किसान भाईओं को आपस मे ऐसे मिला दिया जैसे वो एक ही प्रदेश के हों।
इसके अतिरिक्त राजस्थान हरियाणा बार्डर शाहजहांपुर–खेड़ा पर एकत्रित आंदोलनकारी पूरे देश की तस्वीर को एकाकार करते हुए किसान एकजुटता की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं।
इस किसान आंदोलन ने त्याग और बलिदान के साथ दृढ़ता और साहस की अद्भुत मिसालें कायम की हैं।
किसान आंदोलन ने कांग्रेस व बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दलों के असली चेहरे बेनकाब कर दिए।
आधी दुनिया यानी महिलाओं की भी असीम शौर्य पूर्ण भागीदारी ने दुनिया के सामने एक नायाब उदाहरण प्रस्तुत कर साबित कर दिया कि वह किसी भी मायने में कमज़ोर नहीं है। वह गृहस्थी बच्चों के साथ इस जंग में भी बराबर की भागीदारी निभाती आई हैं।