Category: Edition 6

किसान मज़दूर संघर्ष के महानायक – तेजा सिंह सुतन्तर

आज के किसान संघर्ष में जहाँ 1907 के ‘पगड़ी सँभाल जट्टा’ आंदोलन हमारे जीत के जज़्बे को बल दे रहा है वहीँ हमारे वो उन स्वत्रंत्रता सेनानी, जिन्हें हम आज के समय में बदल रहे इतिहास के चलते हौले हौले भुलाते जा रहे हैं, का जीवन आज भी हमारा पथ प्रदर्शन कर रहा है।

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ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के

ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के ।

अब अँधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के ।

कह रही है झोपडी औ’ पूछते हैं खेत भी,

कब तलक लुटते रहेंगे लोग मेरे गाँव के ।

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कृषि क्षेत्र की पहली जरूरत सुदृढ़ ‘कोल्ड चेन’

सरदार पटेल के कहने पर ही गुजरात में किसानों ने को-ऑपरेटिव संगठन बनाकर दुग्ध विपणन का कार्य अपने हाथ में ले लिया था। कुछ साक्षात्कारों में प्रोफेसर अशोक गुलाटी (कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष) ने फसल की विविधता और कम होते जल स्तर पर काफी गंभीर विचार व्यक्त किए हैं।

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किताब या लाठी: शाहीन बाग के बाद किसान आंदोलन में “प्रतिरोध के पुस्तकालय” की भूमिका?

शाहीन बाग विरोध स्थल चला गया है, लेकिन इसकी विरासत उन लोगों को प्रेरित करती है जो अधिक समतावादी और लोकतांत्रिक भारत का सपना देखते हैं। ज्यादातर मुस्लिम महिलाओं द्वारा नेतृत्व किया गया, शाहीन बाग विरोध स्थल ने हाल के दिनों में विरोध कला के साथ सबसे अधिक सौंदर्यवादी और विचारशील प्रयोगों में से एक को प्रेरित किया।

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किसान आंदोलन 2020: एक क्रांति

यह किसान आंदोलन, सरकार द्वारा बिना किसी विचार, बहस या अपेक्षित वोटदान के जल्दबाज़ी से संसद में अधिनियमित किए गये तीन कृषि क़ानूनों के विरोध, प्रगति में क्रांति एवं अंतर-सांस्कृतिक एकजुटता और भाईचारे का समारोह है। यह प्रदर्शन अनोखा और इस प्रकार का है जो शायद भारत की आज़ादी के बाद से ना देखा हो।

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सड़क पर किसान

सड़कों पर नंगे पाँव 

चल पड़ा है पूरा गाँव 

अँधेरे के ख़िलाफ़ खड़ा बिहान 

पूछ रहा 

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डॉ. संजय माधव: किसान नेता, राजस्थान

दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसान आंदोलन के शाहजहांपुर मोर्चे पर राजस्थान के किसानों का बड़ा जमावड़ा 12 दिसम्बर से है। इस आंदोलन में उत्तर पश्चिमी राजस्थान और शेखावटी अंचल से बड़ी संख्या में किसान आए हुए है। इनमें से कुछ ज़िले पंजाब सीमा से सटे होने और सामाजिक-राजनैतिक नज़रिए से पंजाब से ज़्यादा क़रीब है।

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शाहजहांपुर में मेरा अनुभव

शा19 दिसंबर, वो दिन जब मैं शाहजहांपुर बॉर्डर पर आया। मैं कभी किसी संगठन से नही जुड़ा, और न ही किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थक रहा हूँ। आंदोलन में आने का कारण किसानों के साथ खड़े होना, और आंदोलन को समझना था। कि किस प्रकार से इतना बड़ा आंदोलन चल रहा है।

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किसान आंदोलन 2020: एक क्रांति

यह किसान आंदोलन, सरकार द्वारा बिना किसी विचार, बहस या अपेक्षित वोटदान के जल्दबाज़ी से संसद में अधिनियमित किए गये तीन कृषि क़ानूनों के विरोध, प्रगति में क्रांति एवं अंतर-सांस्कृतिक एकजुटता और भाईचारे का समारोह है। यह प्रदर्शन अनोखा और इस प्रकार का है जो शायद भारत की आज़ादी के बाद से ना देखा हो।

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ਭਾਰਤੀ ਚੀਫ ਜਸਟਿਸ ਦੇ ਨਾਮ ਚਿੱਠੀ

ਵਿਸ਼ਾ – ਹਿਊਮਨ ਰਾਈਟਜ ਐਡ ਡਿਊਟੀਜ਼ , ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵੱਲੋ ਸੁਪਰੀਮ ਕੋਰਟ ਦੇ ਜੱਜਾਂ ਨੂੰ ਧਰਨਾਕਾਰੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋ ਕੀਤੀ ਦੁਰਦਸ਼ਾ ਬਾਰੇ ਖੁੱਲੀ ਚਿੱਠੀ ਹੈ। 

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