महत्वपूर्ण निर्णय
किसानों ने केंद्र सरकार को दिया अल्टिमेटम, यदि उनकी माँगें ना पूरी हुईं तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसान लायेंगे दिल्ली में ट्रैक्टर।
यदि 4 जनवरी को सरकार से वार्ता असफल हुई, तो 6 जनवरी को किसान
किसानों ने केंद्र सरकार को दिया अल्टिमेटम, यदि उनकी माँगें ना पूरी हुईं तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसान लायेंगे दिल्ली में ट्रैक्टर।
यदि 4 जनवरी को सरकार से वार्ता असफल हुई, तो 6 जनवरी को किसान
आखिर इन कानूनों में ऐसा क्या है कि किसान इन्हें स्वीकारने को तैयार नहीं? इनमें पहला है ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून, 2020’, जिसके तहत सरकार ने वर्तमान कृषि मंडियों के बाहर
हमारे किसान नेताओं का सरल पहनावा और सरल बोल चाल देख कर कुछ युवा इनकी बुद्धि और दूरदर्शिता को कम आंक लेते हैं, जहां भारत की सभी एजेन्सीयों की सोच ख़त्म होती है, वहीं से हमारी संगठनों की सोच की
आज पिछले एक महीने से देश में किसान आंदोलन एक सत्ता के ख़िलाफ़ विरोध के नए पैमाने लिख रहा है। भारत के इतिहास मे आज़ादी के बाद शायद किसानों का यह सबसे बड़ा आंदोलन होगा। किसानों औऱ मजदूरों
शाहजहांपुर बॉर्डर वही जगह है , जहाँ खाकी वर्दी पहने पुलिस ने गुजरात और राजस्थान से आये किसानों को दिल्ली जाकर धरना प्रदर्शन करने से रोक रखा है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसान शांतिपूर्ण ढंग से विरोध
31 दिसम्बर को दिल्ली से शाहजहांपुर मोर्चे की तरफ़ जाते हुए अहसास हुआ कि किस तरह बाक़ी मोर्चों के बरक्स यह मोर्चा राजधानी दिल्ली, और राष्ट्रीय मीडिया से मीलों दूर किसान आंदोलन की कमान थामें हुए है। आप
ਦਿੱਲੀ ਬਾਡਰਾਂ ‘ਤੇ ਚੱਲ ਰਹੇ ਕਿਸਾਨੀ ਸੰਘਰਸ਼ ਵਿੱਚ ਵੱਡੀ ਉਮਰ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਬਜੁਰਗ ਪਹਿਲੇ ਦਿਨੋਂ ਡਟੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਇਹਨਾਂ ਬਜੁਰਗਾਂ ‘ਚੋਂ ਇੱਕ ਹਨ ਅਠਾਸੀ ਸਾਲ ਦੇ ਸੰਤਾ ਸਿੰਘ। ਪਿੰਡ ਫੂਲ ਤੋਂ ਆਏ ਸੰਤਾ ਸਿੰਘ ਦੀ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਇਹ ਪਹਿਲਾ ਸੰਘਰਸ਼ ਨਹੀਂ। ਉਹ ਬੱਤੀ ਸਾਲ ਤੋਂ ਭਾਰਤੀ ਕਿਸਾਨ ਯੂਨੀਅਨ (ਏਕਤਾ) ਡਕੌਂਦਾ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਹਨ।
ਮੈਂ ਤੇ ਮੇਰਾ ਦੋਸਤ ਜਗਮੀਤ ਬਰਾੜ ਟਿਕਰੀ ਬਾਰਡਰ ਤੇ ਆਵਦੇ ਤੰਬੂ ਵਿੱਚ ਬੈਠੇ ਚਾਹ ਪੀ ਰਹੇ ਸੀ ਕਿ ਐਨੇ ਨੂੰ ਇੱਕ 60-65 ਕੁ ਸਾਲ ਦਾ ਬਾਪੂ ਤੰਬੂ ਦੇ ਬਾਹਰ ਲੱਗੇ ਸਾਡੇ ਲਿਖੇ ਪੋਸਟਰ ਪੜ੍ਹਨ ਲੱਗ ਗਿਆ, ਤੇ ਅੰਦਰ ਆ ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਕਹਿੰਦਾ, ‘ਮੈਂ ਜਦੋਂ BA
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