हरियाणवी गीत
लिकड़ पड़ै हां घर तै कुछ लेकै जावांगे
न्यूए लड़दे रहियो साथी हम जीत कै जावांगे
ना माना दाब किसे की ना पाछै कदम हटांवां
इका मूंह ऊपर नै होर्या दिल्ली कै नाथ लगावां
लिकड़ पड़ै हां घर तै कुछ लेकै जावांगे
न्यूए लड़दे रहियो साथी हम जीत कै जावांगे
ना माना दाब किसे की ना पाछै कदम हटांवां
इका मूंह ऊपर नै होर्या दिल्ली कै नाथ लगावां
आज से साढ़े पांच साल पहले मैं शिव कुमार के साथ जेल में रहा था। लगभग 16 दिन हम दोनों ने सोनीपत जेल में एक ही बैरक में बिताए। मैंने पहली बार देखा कि कैसे जाति की वजह से उसे सफाई के काम के लिए बार बार कहा जाता और हमने इस मानसिकता के खिलाफ संघर्ष किया। उस समय भी हमें झूठे केस में ही फंसाया गया था।
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