Author: Jasminder Tinku

हरियाणवी गीत

लिकड़ पड़ै हां घर तै कुछ लेकै जावांगे

न्यूए लड़दे रहियो साथी हम जीत कै जावांगे

ना माना दाब किसे की ना पाछै कदम हटांवां

इका मूंह ऊपर नै होर्या दिल्ली कै नाथ लगावां

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शिव कुमार के साथ मेरा सफ़र: एक प्यारी मुस्कान के पीछे गंभीर कार्यकर्ता और पुलिस की ज्यादती

आज से साढ़े पांच साल पहले मैं शिव कुमार के साथ जेल में रहा था। लगभग 16 दिन हम दोनों ने सोनीपत जेल में एक ही बैरक में बिताए। मैंने पहली बार देखा कि कैसे जाति की वजह से उसे सफाई के काम के लिए बार बार कहा जाता और हमने इस मानसिकता के खिलाफ संघर्ष किया। उस समय भी हमें झूठे केस में ही फंसाया गया था।

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