आखिर आप हमारी जमीनें छीनने की प्लानिंग क्यों कर रहे हैं?
आजादी के बाद एक लंबे समय तक, देश के अलग अलग हिस्सों में चले किसान आंदोलनों का नारा हुआ करता था “ज़मीन किसकी, जो जोते उसकी”। भूमिहीन मजदूरों को, जिनमें बड़ी संख्या में दलित शामिल थे, जमीन का मालिक बनाने की लंबी और ऐतिहासिक लडाइयाँ लड़ी गयी। तेलंगाना संघर्ष इनमें सिरमौर था।