Author: Ashtabhuja Shukla

वन्दे मातरम्

गेहूँ की कुशाग्र मूँछों पर गिरी वृष्टि की गाज

काली-काली भुङुली वाली बाली हुई अ-नाज़

हुए अन्नदाता ही दाने-दाने को मोहताज

भिड़े कुकुरझौंझौं में राजन महा ग़रीबनवाज़

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