फाल्गुन भराड़ा, सुभाष जाखड़
हम शाहजहांपुर खेड़ा बॉर्डर पर पिछले 13 दिसंबर से लगातार यहां पर मौजूद है 25 जनवरी सुबह जब हम उठे और हमने देखा कि शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों की लगातार बढ़ोतरी हो रही थी। किसान राजस्थान हरियाणा गुजरात उत्तराखंड केरल आंध्रप्रदेश महाराष्ट्र तमिलनाडु असम मणिपुर पश्चिम बंगाल झारखंड पंजाब और कर्नाटक राज्य से किसान अपनी अपनी झांकियों को लेकर 26 जनवरी किसान गणतंत्र परेड के लिए पहुंचना शुरू हुए किसानो और समर्थन में आए लोगों में किसान गणतंत्र परेड को लेकर काफी उत्साह देखने को मिला। तमाम राज्यों के लोग अपनी अपनी संस्कृति के अनुसार झांकियां तैयार कर रहे थे शाहजहांपुर बॉर्डर किसान आंदोलन का सबसे अनुशासित किसान आंदोलन केंद्र रहा है।
25 जनवरी की शाम तक तमाम राज्यों ने अपनी अपनी तैयारी कर ली थी और किसान गणतंत्र परेड को लेकर भारी उत्साह के साथ में 26 जनवरी की सुबह हजारों ट्रैक्टरों और वाहनों का जमावड़ा बढ़ने लग गय था। हम देख रहे थे कि किसानों में उत्साह नजर आ रहा था। किसानों की बढ़ती संख्या को देखकर हरियाणा पुलिस प्रशासन को बेरीगेट खोलने पड़े किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान के अनुसार जो निर्धारित परेड की सीमा थी उस परेड की ओर किसान गणतंत्र परेड रवाना हुई दिल्ली मानेसर तक परेड का जाना तय था । किसान गणतंत्र परेड का नेतृत्व कर रहे थे किसान नेता अमराराम , तारासिंह, पेमाराम, राजाराम मील ,फूलचंद ढेवा आदि कर रहे थे परेड में सबसे पहले किसानों की शहीदवेली थी इसके बाद राजस्थान की झांकी हरियाणा की झांकी गुजरात की आंध्र प्रदेश की झांकी महाराष्ट्र अन्य राज्यों की झांकियां चल रही थी बिल्कुल अनुशासित रूप से झांकियां चल रही थी ठीक उन्हीं के पीछे ट्रैक्टर की ट्रॉली वो ट्रैक्टर एक कतार ने बीच की लाइन में चल रहे थे और दोनों तरफ वाहन चल रहे थे निर्धारित गति में परेड अनुशासित रूप से चल रही थी हरियाणा के लोगों ने परेड का जगह–जगह पर फूल वर्षा कर स्वागत किया किसान परेड में हर ट्रैक्टर पर हमारे देश की शान तिरंगा झंडा सबसे ऊपर लहरा रहा था शाहजहांपुरपुर बॉर्डर से मानेसर की किसान का अद्भुत नजारा देखने को मिला प्रशासन द्वारा दिए गए निर्धारित स्थल पर परेड पहुंची वहां पर लगे तिरंगे को सलामी देते हुए पुनः शाहजहांपुर कि ओर किसान परेड चली और काफी उत्साह देखने को मिला 26 जनवरी को दिल्ली में जो घटना हुई उसकी निंदा करते हुए उस घटना को किसान आंदोलन से अलग किया किसानों को बदनाम करने की कोशिश की थी उस कोशिश को नाकाम करते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों ने अनुशासन बनाए रखा और आंदोलन को मजबूती प्रदान करने का संकल्प लिया। गाजीपुर बॉर्डर पर जो घटना हुई उस घटना को गंभीरता से लेते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों और समर्थित लोगों का आना शुरू हो गया 30 जनवरी को किसानों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए एक– दिन का उपवास रखा और अहिंसा के रास्ते पर चल कर आंदोलन करने का संकल्प लिया बीजेपी द्वारा किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश को नाकाम करते हुए किसान आपसी भाईचारे के साथ में शाहजहापुर बॉर्डर पर डटा हुआ है तमाम जिस तरह की अफवाह फैलाई जा रही है उन पर किसानों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी । लोगों में जिस प्रकार से अफवाह फैलाई जा रही है कि किसानों ने बॉर्डर खाली कर दिए हैं यह एक मात्र अफवाह है ऐसा कुछ नहीं हुआ है ऐसा करने की कोशिश की थी लेकिन प्रसाशन नाकाम रहा है उस पर कोई ध्यान नहीं दे शाहजहापुरबॉर्डर पर किसान लगातार आ रहे हैं और जगह जगह पर महापंचायत हो रही है आने वाले कुछ ही दिनों में शाहजहापुर बॉर्डर पर हजारों लाखों की संख्या में किसान आएंगे और इस आंदोलन को मजबूती प्रदान करेंगे। हम शाहजहापुर बॉर्डर से आप तमाम से अपील करते हैं किसी भी प्रकार की किसान आंदोलन को बदनाम करने की अफवाहों से बचें और इस आंदोलन को मजबूती प्रदान करने का काम करें , हमे तो ऐसा लगता है जैसे इतिहास लिखा जा रहा है ओर हम उस इतिहास में जुल्म के खिलाफ खड़े है ओर ये विश्व का सबसे बड़ा आंदोलन इस देश ओर दुनिया की दिशा ओर दशा तय करेगा