परमजीत और नैनप्रीत, फिजियोथैरेपी और नरसिंह टीम के साथ लुधियाना से गाजीपुर किसान आंदोलन में किसानों की सेवा करने आए हैं।
9 दिसंबर से यह धरने पर ही हैं। औरतों के लिए बराबर इंतजाम ना होने के कारण इनके लिए ठंड भरे यह दिन काटना आसान नहीं है, मगर उनका कहना है, “अगर मन में सेवा करना ठान लिया हो तो मुश्किलें कैसी?” ।9 दिसंबर की रात को जब यह दो लड़कियां अपनी टीम के साथ पहुंची, तो आते ही मेडिकल फैसिलिटी का इंतजाम करने में जुट गई।
सुबह तक सब तैयार करके वह किसान भाइयों की सेवा करने में जुट गई और लगभग 48 घंटे नींद नसीम हुई इन्होंने किसानों के पांव में हुए जख्मों की मरहम पट्टी की, आज उनको इस बात की तसल्ली और खुशी दोनों है कि वह घाव भरने लगे हैं।
अब उनके और उनकी दूसरी महिला साथी के पास अपने टेंट है और वह संतुष्ट है कि दूसरे बड़े कार्यो में व हअपना योगदान दे रही है।